नाते तो बनाये जाते है
कुछ बनकर आते है
सब में कुछ अपना सा
होता है
कुछ खोने की चाहत
होती है
पाने को रिश्ते नहीं
पाना तो व्यापर है
भरी पड़ी अपार
मिटटी इस जगत में
कुछ पहचानना है
पानी मिटटी तो वही
बीज का कमाल है
पसंद अपनी अपनी
कोई काँटों में खुश
तो कोई कही
अपनाना है
अनुकूल हो
कमी कहा है
भाग्य भी बहुत कुछ है
कुछ बनकर आते है
सब में कुछ अपना सा
होता है
कुछ खोने की चाहत
होती है
पाने को रिश्ते नहीं
पाना तो व्यापर है
भरी पड़ी अपार
मिटटी इस जगत में
कुछ पहचानना है
पानी मिटटी तो वही
बीज का कमाल है
पसंद अपनी अपनी
कोई काँटों में खुश
तो कोई कही
अपनाना है
अनुकूल हो
कमी कहा है
भाग्य भी बहुत कुछ है
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