फासले जो तुम घटाने लगे
हम खुद से दूर जाने लगे
एक पल न लगा करीब आने मे
दूर जाने में तो ज़माने लगे
पल जो ढहर गए थे
फिर से हीलाने में वक्त लगा
दल दल में धस गए थे
निकलने में वक्त लगा
तोड़ने में आवाज हुई
जो सिर्फ हमें सुनायी दी
माहोल जो बना था
तिलस्म जो था
दूर दूर तक फसाने थे
समेटने में जोर आया
नीरसता जो है इनमे
बहुत गहरी तक
समझने में ज़माने लगे
एक आम सी बात
जिसे सारे स्टेशन गाते है
समजने में ज़माने गए
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