नज़ारे तो रात को
सजते है
जब रंगीली रौशनी
चारो और फेलती है
उसमे नहाकर नज़ारे
निखरते है
गूंजती शहनाई है
मन भी रंगता है
रंगीन नज़रो में
यूही चलती रहे
गुजरती रहे
सन्नाटो को दूर ही रहने दो
ये रोशनियाँ मन को
भी रोशन कर दे
अलविदा कह दे
उस संशय को
उस चिड़चिड़ेपन को
उस सोच को
जो बेकार प्रशन उठाती है
रंगीन समां हो
रंगीन तबियत हो
रंग तरह तरह के
अलग अलग भाव जगाते है
कोनसा रंग चढ़ा लो
जो बस जाये मन में
जिसमे रंग जाये
और रोज नया रंग
न खोजना पड़े
दिवा – स्वपन की तरह
भटकता न रहू
उलझनों के पीछे पीछे
कोई अपना सा
अपने आशियाने में
समां जाये
सजते है
जब रंगीली रौशनी
चारो और फेलती है
उसमे नहाकर नज़ारे
निखरते है
गूंजती शहनाई है
मन भी रंगता है
रंगीन नज़रो में
यूही चलती रहे
गुजरती रहे
सन्नाटो को दूर ही रहने दो
ये रोशनियाँ मन को
भी रोशन कर दे
अलविदा कह दे
उस संशय को
उस चिड़चिड़ेपन को
उस सोच को
जो बेकार प्रशन उठाती है
रंगीन समां हो
रंगीन तबियत हो
रंग तरह तरह के
अलग अलग भाव जगाते है
कोनसा रंग चढ़ा लो
जो बस जाये मन में
जिसमे रंग जाये
और रोज नया रंग
न खोजना पड़े
दिवा – स्वपन की तरह
भटकता न रहू
उलझनों के पीछे पीछे
कोई अपना सा
अपने आशियाने में
समां जाये
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